यमकेश्वर ब्लॉक के अमोला गाँव में हुई होम स्टे की शुरुआत ।

पहाड़ों पर हर साल गाँव के गाँव खाली हो रहे हैं, वहीं कुछ ऐसे भी युवा हैं जो प्राइवेट नौकरी को छोड़कर अपने पैतृक गाँव में रोजगार शुरू कर रहे हैं। इससे उन्हें तो फायदा हो ही रहा है, साथ ही दूसरों को भी रोजगार मिल रहा है। हम बात कर रहे हैं उत्तराखंड में पौड़ी जिले के अन्तर्गत यमकेश्वर विकास खण्ड में ग्राम अमोला (डाडामण्डल) के विजय अमोली ने शहर से प्राइवेट नौकरी छोडक़र अपने पैतृक घर को होम स्टे में बदल दिया है। पारंपरिक वास्तु से बने अपने मकान की मरम्मत करवाने के बाद उसे पर्यटकों के रहने लायक बनाया। इन्होंने पहाड़ों की संस्कृति, सभ्यता और खान-पान को लोगों तक पहुंचाने का किया है। विजय अमोली के भाई सुुुुधीर अमोली बताते हैं  कि हमने 2018-19 में ही होम स्टे का काम शुरू किया है, अब तो देश-विदेश से पर्यटक आते हैं। उन्हें हम अपने गाँव की सभ्यता और संस्कृति के साथ जो हमारे गाँव में जैविक खेती होती है, उसके बारे में उन्हें बताते हैं। हम उन्हें जंगल वॉक, विलेज वॉक, बर्ड वॉच के लिए ले जाते हैं।"
वो आगे बताते हैं, "यहां पर जो पर्यटक आते हैं उन्हें हम पहाड़ी व्यंजन भी खिलाते हैं, जैसे कि कोदो की रोटी, झंगोरे की खीर हम उन्हें परोसते हैं, जिसे वो बड़े चाव से खाते हैं। उत्तराखंड  में कई सारे गाँव पलायन कर खाली हो रहे हैं। इसकी सबसे खास बात ये है कि आप सीमित संसाधनों में लोगों को ठहरा सकते हैं, लोग यहां आना भी चाहते हैं।
   पलायन आयोग के मुताबिक उत्तराखंड में 2011 की जनगणना के बाद से अब तक 734 गांव पूरी तरह खाली हो गए हैं, वहीं 565 ऐसे गांव हैं जिनकी जनसंख्या 50 प्रतिशत से कम हो गई है। अगर गाँव में होमस्टे को ऐसे ही बढ़ावा मिलता रहे तो कुछ हद तक पलायन रुक सकता है।
"इससे एक फायदा तो जरूर है कि आसपास के लोगों को भी रोजगार मिल रहा है, यहां गाँव के कई लोगों के रोजगार भी मिला है। यहां पर लोगों को यहां का परंपरागत खाना खिलाते हैं। लोगों को यहां आना बहुत अच्छा लगता है। सबसे पहले हमने ये शुरू किया था अब और लोग भी होमस्टे शुरू करने की बात कर रहे हैं।अतिथि-उत्तराखण्ड्ड 'गृह आवास (होम स्टे) नियमावली' के शुभारंभ के पीछे मूल विचार विदेशी और घरेलू पर्यटकों के लिए एक साफ और किफायती तथा ग्रामीण क्षेत्रों तक स्तरीय आवासीय सुविधा प्रदान करना है। इससे विदेशी पर्यटकों को भी एक भारतीय परिवार के साथ रहने उनकी संस्कृति का अनुभव व परंपराओं को समझने और भारतीय/उत्तराखण्डी व्यंजनों के स्वाद के लिए एक उत्कृष्ट अवसर मिलेगा। पहाडों से पलायन रोकने एवं रोजगार के अवसर उपलब्ध करने हेतु पहाड़ के नौजवानों को भी ऐसे लोगों से प्रेरणा लेकर अपने गाँव को पलायन से मुक्त करने की कोशिश करनी चाहिए ।