फौजी सूबेदार के गाँव की कहानी । मेहनत का फल मीठा होता है और संघर्ष  का फल प्रकाशवान।

उत्तराखंड पौड़ी जिले के यमकेश्वर ब्लॉक में  स्थित एक गांव कुनाऊ है, इस गांव में बिजली आने की कहानी की सबसे रोचक बात यह है कि इन लोगों ने रोशनी की यह लड़ाई खुद लड़कर जीती है, जिसमें भूख हड़ताल तक शामिल है. देहरादून और पौड़ी की सीमा पर ॠषिकेश में माॅ गंंगा के तट पर स्थित यह गांव अब आधुनिक युग में प्रवेश कर गया है।
कुनाऊ गांव के अधिकांश लोग पशुपालन का काम करते हैं और सदियों से वे गांव के आसपास के इलाके का चरागाह के तौर पर इस्तेमाल करते आ रहे हैं। ब्रिटिश काल में अंग्रेज फीस लेकर गांव वालों को जानवर चराने और लकडिय़ां बीनने की अनुमति देते थे। यहां तक कि स्थानीय लोगों को अपने छप्पर तक के लिए पैसे देने पड़ते थे। 1983 में राजाजी नेशनल पार्क का निर्माण हुआ और कुनाऊ गांव उस पार्क की सीमा में आ गया। यहीं से उनके संघर्ष की शुरुआत हुई। यहाँ के निवासी सुुबेेदार सुरेश पयाल बताते हैं कि मुझे खुशी है कि अब बिजली आने के साथ हमारी अंधेरी जिंदगियों में रोशनी आ गई है, बिजली से नई पीढ़ी के बच्चों को बहुत फायदा होगा और अब वे गांव में कुटीर उद्योग भी लगा सकेंगे।” अब तक बिजली न होने के कारण गांव वालों को रोशनी के लिए सौर ऊर्जा पर निर्भर रहना पड़ता था. लेकिन सौर ऊर्जा बिजली की बढ़ती जरूरतों को पूरा करने के लिए काफी नहीं थी। बहुत से लोग अपना मोबाइल रीचार्ज करवाने गांव से 5 किलोमीटर दूर ऋषिकेश जाते थे।वन विभाग ने यह कहकर इस गांव को बिजली के हक से वंचित कर रखा था कि बिजली के कारण वन्य पशुओं को परेशानी होगी। तब कुनाऊ वासियों के पक्ष में एक महत्वपूर्ण फैसला आया । उत्तराखंड सरकार ने एक नोटिस जारी करते हुए कहा कि कुनाऊ गांव को वन क्षेत्र से हटाया जाए. अपने आंदोलन के साथ-साथ हमने वन्य अधिकार अधिनियम के तहत अपने अधिकार हासिल करने के लिए भी आवेदन किया और इस तरह हम वन्य अधिकार कानून के अंतर्गत आने वाला उत्तराखंड का पहला गांव बन गए.” मैं आंदोलन के दौरान अपने गांववालों की एकता को देखकर चकित था मैं उनकी कोशिशों के लिए उन्हें सलाम करता हूं”।



  • सूबेदार सुरेश पयाल द्वारा रचित कविता    

  • मेहनत का फल मीठा होता है

  • और संघर्ष  का फल प्रकाशवान

  • यह खबर आई थी, अशोक वाटिका से कि

  • लंका दहन निश्चित है, लेकिन

  • इस रैबार को तो अर्सा बीत गया।

  • कुनांऊ में चांद की साली।

  • और चांदनी की चचेरी बहन "बिजली" आई है।

  • गांव का नजारा तो देखो जैसे ब्योंली आई है।

  • हां अब लग रहा है कि राम अयोध्या लौट आये🏹 काले घने अन्धकार के बाद।   

  • सदियों लम्बे इन्तजार के बाद

  • अपने ही विभागों से तकरार के बाद🌳🗼📝

  • कई जीत और कई हार के बाद

  • एक असहनीय..अतुलनीय पीड़ा का सुखद अन्त।

  • एक चमकीले ...सुनहरे भविष्य का सरल पन्थ।