सिद्धबली बाबा के दर्शन करने से होती है समस्त मनोकामना पूर्ण




उत्तराखंड के पौड़ी गढवाल के कोटद्वार, जिसे गढ़वाल का प्रवेश द्वार भी कहा जाता है, पहाड़ की तराई में खोह नदी के किनारे पर बसा यह हनुमानजी का प्रसिद्ध मंदिर जो कि सिद्धबली बाबा के नाम से देश विदेश में प्रसिद्ध मंदिर है। कोटद्वार के बाद पहाड़ी इलाका है, यह गढ़वाल ज़िले में आता है। यह कोटद्वार से करीब तीन किमी की दूरी पर खोह नदी के किनारे पर करीब 40 मीटर ऊंचे टीले पर ये मंदिर स्थित है।











हनुमान जी कलियुग में सबसे जल्दी प्रसन्न होने वाले भगवान है। हनुमानजी की पूजा से सभी परेशानियां, कुंडली के दोष शनि के अशुभ असर से मुक्ति मिल जाती है। इसीलिए बजरंगबली के मंदिरों में भक्तों की भीड़ लगी रहती है। देशभर में हनुमानजी के कई चमत्कारी मंदिर है, जहां जाने पर भक्तों की मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं। ऐसा ही एक मंदिर है कोटद्वार का सिद्धबली हनुमान मंदिर। इस मंदिर को बहुत चमत्कारी माना जाता है। यहां प्रचलित मान्यता के अनुसार जिन भक्तों की मनोकामनाएं बाबा हनुमान पूरी करते हैं, वे भक्त यहां भंडारा करवाते हैं। यहां से कोई भक्त खाली हाथ नहीं लौटता है। इनके भक्तों की संख्या इतनी ज्यादा है कि यहां होने वाले विशेष भंडारों की बुकिंग 2025 तक के लिए पूरी हो गई है। यहां जानिए सिद्धबली हनुमान मंदिर की खास बातें...
मंदिर के बारे में कहा जाता है कि बहुत पहले एक बाबा इस टीले पर हनुमानजी की पूजा किया करते थे। हनुमानजी ने उन्हें दिव्य सिद्धि प्रदान की थी। इसीकारण बाबा को सिद्धबली बाबा कहा जाने लगा था। बाबा ने हनुमानजी की मूर्ति की स्थापना यहां की थी। यहां प्रचलित मान्यता के अनुसार ब्रिटिश शासन काल में एक मुस्लिम अफसर इस क्षेत्र से गुजर रहे थे, तब वे सिद्धबली मंदिर के कहीं रुके थे। उस अफसर को सपना आया था सिद्धबली बाबा की समाधी के पास ही मंदिर बनाया जाए। ये बात अफसर ने क्षेत्र के लोगों को बताई तो लोगों ने यहां मंदिर बनवा दिया।
पहले ये मंदिर ज्यादा बड़ा नहीं था। धीरे-धीरे श्रद्धालुओं के सहयोग से ये मंदिर भव्य हो गया है।
मन्नत पूरी होने के बाद करवाते हैं भंडारा माना जाता है कि हनुमानजी यहां पर सभी की मनोकामनाएं पूरी करते हैं। प्रसाद में गुड़, बताशे और नारियल विशेष रूप से चढ़ाते हैं। हर मंगलवार और शनिवार को यहां भक्तों के लिए भंडारा होता है। खबरों के मुताबिक यहां इतने भक्तों की मनोकामनाएं पूरी होती है कि विशेष भंडारों के लिए 2025 तक बुकिंग हो गई है।